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Showing posts from September, 2017
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ममता दीदी..तेरी ये जिद्द ले डूबेगी ! बंगाल की शेरनी के नाम से जानी जाने वाली ममता बनर्जी सत्ता सुख के लिए इस कदर उतावली हो गई हैं कि अब उन पर ना कोर्ट की फटकार का असर हो रहा है ना जनता के विरोध का। आप कह सकते हैं कि सत्ता की चाह ने दीदी को अंधा कर दिया है मगर क्या वोट के लालच में किसी राजनेता का इस तरह व्यवहार करना ठीक है ? सत्ता की जिस चाहत के चलते वो बंगाल की विलेन बनती जा रही हैं कहीं वही चाहत उनके पतन का कारण ना बन जाए ? वैसे कहा भी जाता है कि “ विनाश काले विपरीत बुद्दि ”, तो कहीं दीदी के ये कर्म उनके विनाश काल की ओर तो नहीं बढ़ रहे हैं ? दीदी को इस बार भी कोर्ट से उसी जिद्द पर फटकार लगी हैं जिस पर पिछले साल कोर्ट ने कहा था कि ये फैसला साफतौर पर एक समुदाय विशेष को खुश करने के लिए लिया गया है ममता बनर्जी की नज़र पश्चिम बंगाल के उन 30 फ़ीसदी मुसलमानों पर है मगर ऐसा करते वक़्त वो शायद उस 70 फीसदी आबादी को भूल गई हैं जो कि बहुसंख्यक है। चलिए अब आपको दीदी की उन संभावित पांच बड़ी गलतियों के बारे में बताते हैं जो आने वाले समय में उनको सत्ता की गद्दी से दूर कर सकती है .... ...
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पूरी रात प्रद्युम्न का चेहरा आंखों के सामने आता रहा   प्रद्युम्न की वो तस्वीर, उसका मासूम सा चेहरा पूरी रात भूले नहीं भुलाया गया और उसके अस्पताल के वक्त की वो तस्वीर, उफ्फ ! मत पूछिए झकझोर कर रख दिया। तीन दिन की छुट्टी के बाद मैं ऑफिस पहुंची और पहला सामना प्रद्युम्न की खबर से हुआ, पूरे दिन खबर के तौर पर खबर चलती रही मगर दिल में बेचैनी बनी रही, मैं पूरी रात सोचती रही कि आखिर क्यों इस बच्चे को इस बेदर्दी से मारा गया ? आखिर क्या कसूर था उसका ? क्या किसी रंजिश की कीमत उसे चुकानी पड़ी ? या समाज की काली सोच ने उस मासूम की जान ले ली ?   गुरुग्राम के रेयान इंटरनेशनल में जो 8 सितंबर को हुआ वो एक ऐसा सच है जो अभी तक का सबसे खतरनाक और चिंताजनक सच है। यह एक ऐसी घटना है जिससे सिर्फ हर घर के मां- बाप ही नहीं बल्कि मेरे जैसे अविवाहित भी चिन्तित हैं । यकीन जानिए ये खबर सबको झकझोर देने वाली है। हालांकि हम सबका दुख प्रद्युम्न के मां-बाप की तकलीफ के आगे कुछ नहीं है, हम उनकी तड़प की कल्पना भी नहीं कर सकते जिसने बड़े अरमानों से अपने कलेजे के टुकड़े को स्कूल भेजा था , उसको उस सुबह उ...
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किसने किया था मसूरी का नामकरण ? हर दिन 12 बजे क्यों दागी जाती थी तोप ?  लोग कहते हैं कि नाम में क्या रखा है मगर हर नाम के पीछे कोई ना कोई कहानी जरूर होती है। आज हम आपको बताएंगे पहाड़ों की रानी की“मसूरी” नाम रखे जाने की कहानी। इस हिल स्टेशन के मसूरी नाम पड़ने की वजह तलाशने के लिए हमें इतिहास के कुछ पन्नों को पलटना होगा। मसूरी को 1800 सदी में ब्रिट‌िश म‌िल‌िट्री अध‌िकारी ने अपने एक साथी के साथ ढूंढा था। उन्होंने इसे छुट्टी ब‌ि‌ताने के ल‌िए सबसे बेहतरीन पाया और यहीं रहने का फैसला लिया। इसके बाद उन्होंने देखा क‌ि यहां पर मसूर के पेड़ बहुत ज्यादा है। इसके बाद उन्होंने ही यहां का नाम मसूरी रख द‌िया। तब से इस हिल स्टेशन को मसूरी कहा जाने लगा। देहरादून से मसूरी का रास्ता पहाड़ियों को काटकर बनाया गया है। इसलिए यहां के कई रास्ते कटावदार दिखाई देते हैं। शिवालिक की पहाड़ियों पर बसा ये शहर है तो छोटा सा मगर इसकी खूबसूरती देखने लायक है। मसूरी गंगोत्री का प्रवेश द्वार भी कहलाती है। मसूरी में घूमने के ल‌िए कई सुंदर जगह हैं। मसूरी में इंट्री करते ही मॉल रोड की मॉकेट आपको जरुर पसंद आएगी । गनहिल ...