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Showing posts from August, 2015
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गीतों का राजकुमार – शैलेंद्र अपनी धुन के पक्के और शब्दों के जादूगर गीतकार और कवि शैलेंद्र का आज जन्मदिन है.. उनके सम्मान में मथुरा की एक सड़क का नाम उनके नाम पर ही रखे जाने की आज घोषणा की गई है...क्योंकि उन्होंने अपने बचपन से जवानी तक 16 बरस मथुरा की गलियों में ही बिताए थे..शैलेंद्र का फिल्मी जगत में योगदान अविस्मरणीय है...उनके गीतों की खनक आज भी लोगों के जहन में यूं ही बनी हुई है..शैलेंद्र के गीत ऐसे निच्छल थे, जिसमें कोई बनावट नहीं थी, हर सुनने वाले को लगता था कि ये तो मेरा ही दर्द और मेरी ही कहानी है... ‘’ सब कुछ सीखा हमने ना सीखी होशियारी ’’ जैसे गीत के माध्यम से शैलेंद्र ने एक बड़ी बात को भी बहुत आसानी से कह दिया था...और सच ही है अगर होशियारी सिख ली होती तो कैसे हिंदी सिनेमा जगत को एक ऐसा सच्चा गीतकार मिलता, जिसके गीत रुह को छू जाते..झूठ और फरेब से शैलेंद्र को नफरत थी, सच पर मर मिटने की जिद थी, चाहे तो उन्हें अनाड़ी कह लो ये उन्हें स्वीकार था मगर अपने आदर्शों और सच से समझौता नहीं । शैलेंद्र के पिता बिहार के रहने वाले थे, फौजी थे। शैलेंद्र का जन्म रावलपिंड़ी में हुआ,प...
क्या हम वाकई स्वतंत्र है ?  स्वतंत्रता दिवस के मौके पर अगर सही मायने में हम इसे समझे तो आज भी कई सवाल खड़े होते हैं...इस बात को समझने के लिए कहीं दूर जाने की जरुरत नहीं अपने आस-पास ही नजर दौड़ा कर देखे तो बहुत कुछ स्पष्ट हो जाएगा उदाहरण के तौर पर हमारी सोच-समझ को ही ले लिजिए, गुलामी की छाप आज भी लोगों में आसानी से दिख जाती है ज्यादातर लोग भेड़चाल के शिकार है और इन हालात के बीच अगर किसी ने अलग सोच भी लिया तो व्यक्ति पूजन के बिना सब बेकार है...वहीं भाषा की गुलामी की बात करे अंग् रेजी भाषा लोगों के मस्तिष्क में इस तरह घर कर गई है कि जो अंग्रेजी बोलता है वो सर्वज्ञानी है..जबकि इस बात पर किसी को शर्मिदगी तक नहीं है कि लोग हिंदुस्तान में रहकर भी हिंदी ना सही से बोल पा रहे है, ना लिख पा रहे हैं...खासकर आज की पीढ़ी, तो क्या अपनी भाषा से दूरियां बनाना गर्व की बात है या एक बड़ी शर्म ..चलिए अब इससे दो कदम आगे चलते हैं बात करते हैं राजनैतिक स्वतंत्रता की, जिसमें स्वतंत्रता का अर्थ होता है राज्य की नजर में राज्य के सभी नागरिक एक समान हो, उनका समान विकास हो..मगर आज जो पूंजीपति है वो मस्त है, न...